Rajasthan History Bikaner || बीकानेर में राठौड़ वंश || Bikaner History || Bikaner Full History || Rajasthan History || Rajasthan History Bikaner
प्राचीन नाम
जांगलदेश , रातीघाटी
काँधल व बीका (चाचा भतीजा) और बीदा
जोधपुर छोड़कर पहले देशनोक करणी माता के पास गऐ। करणी माता के आशीर्वाद से बीकानेर में राठौड़ वंश स्थापित हुआ।
1465ई. में बीकानेर में राठौड़ वंश(Rao Bika)
राजधानी – कोडमदेसर (शूरुआती राजधानी )
1472 में बीका को यही राजा घोषित
1488ई. में बीकानेर की स्थापना
बीकानेर की स्थापना के अगले दिन आखातीज थी और इस दिन बीकानेर में पंतग उड़ाई जाती है।(वैशाख)
गोदारा व सहारण जाति के लोगा बीका के राजतिलक में
जोधपुर पर आक्रमण
इस समय जोधपुर का शासक – राव सूजा ____ राज्य चिह्न को लेकर लडा़ई – सूजा व बीका के मध्य
सूजा की माता जसमादे ने विवाद खत्म करवाया
राज्य चिह्न लेकर बीका , बीकानेर आ जाता है।
राज्य चिह्न में निम्न वस्तुऐं थी।
- नागणेची माता की मूर्ति
- हडबू जी की कटार
- लक्ष्मीनारायण जी की मूर्ति
निर्माण कार्य(Rao Bika)
- कोड मदेसर में भैरव जी का मंदिर
- बीकानेर मे नागणैची माता का मंदिर (18 हाथ वाली देवी )
राव नरा (1504-1505ई.)
राव लुणकरण(1505-1526ई.)
जसनाथ जी के आर्शीवाद से लुण करण राजा बना।
जैसलमेर पर आक्रमण
जैसलमेर का शासक – रावल जैतली
रावल जैतली व लुणकरण के मध्य युद्ध
रावल जैतली को हरा देता है।
नागौर पर आक्रमण
मुहम्मद खाँ व राव लुणकरण
ढोसी का युद्ध (1526ई.)
इस युद्ध में राव लुणकरण लड़ता हुआ मारा जाता है।
ढोसी (नारनौल, हरियाणा)
कलियुग का कर्ण – राव लुणकरण बीठू सूजा ने कहा है।
लूणकरणसर झील का निर्माण करवाया गया।
लक्ष्मी नारायण मंदिर (बीकानेर ) का निर्माण करवाया, जिसकी मुर्ति राव बीका जोधपुर से लेकर आया था।
गरब करे ना गैल्ला घड़मल,ओ थारो राज ना जाणू।
राज दियो म्हे लूणकरण ने, गुरु गोरख परमाणु।