हमारे अतीत Class 7 (Our Past)
- हमारे अतीत
- तेरहवी सदीं में जब फारसी के इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने हिन्दूस्तान शब्द का प्रयोग किया था उसका आशय पंजाब हरियाणा और गंगा -यमूना के बीच में स्थित इलाकों से था।
- राजनीतिक अर्थ में इस इलाके का मतलब जो दिल्ली के सुल्तान के अधिकार में था, उसे हिंदूस्तान कहा गया।
- धनी व्यक्ति, शासक जन, मठ तथा मंदिर, पांडुलिपियाँ एकत्रित किया करते थे। इन पांडूलिपियों को पुस्तकालयों तथा अभिलेखागारों में रखा जाता है।
- वृतांत का तात्पर्य बीती हुई घटना के वर्णन से है।
- चौदहवी शताब्दी के इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपना वृतांत पहली बार 1356 में और दूसरी बार इसके दो वर्ष बाद लिखा दोनों में अन्तर है।
- अभिलेखागार – ऐसा स्थान जहाँ दस्तावेजों एंव पांडुलिपियो को संग्रहित करके रखा जाता था। आज तमाम राष्टीय व राज्यों की सरकारों के राष्टीय अभिलेखाकार होते है जिसमे पुराने सरकारी अभिलेख तथा लेन-देन के रिकॉर्ड रखे जाते है।
- दिल्ली के सुलतान ‘गयासुद्दीन बलबन‘ (1266-1287) की प्रशंसा में एक संस्कृत प्रशस्ति मे उसे एक विशाल साम्राज्य बताया है। जो कि पूर्व में बंगाल(गौड) से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान के गजनी (गज्जन) तक फैला हुआ था। और इसके साम्राज्य में सम्पूर्ण दक्षिण भारत (द्रविड) आ जाता है।
- मसालिक अल अबसर फि ममालिक अल अमसर के रचयिता – शिहाबूद्दीन उमरी (मिस्त्र)
- सन् 1318 में कवि अमीर खुसरो ने कहा –
- इस देश के हर क्षेत्र की अलग भाषा है।
- जैसे – सिंधी, लाहौर ,काश्मीरी
- द्वारसमुदी(दक्षिण कर्नाटक), तेलंगानी(आंध्रप्रदेश)
- गौडी(बंगाल में), अवधी(पूर्वी उतरप्रदेश)
- हिंदवी(दिल्ली के आस-पास के क्षेत्र में)
- मुसलमानों में कुछ शिया थे जो पैगंबर साहब के दामार अली को मुसलमानों का विधिसम्मत नेता मानते थें
- कुछ सुन्नी थे जो खलीफाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करते थे।
- आरंभिक दौर में इस्लाम धर्म का नेतृत्व करने वाले को खलीफा कहते थे।
उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बांटा था:-
‘हिन्दू‘ , ‘मुस्लिम‘, ‘ब्रिटिश‘ ।